ऑटिज्म को मेडिकल भाषा में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहते हैं। यह एक विकास संबंधी गड़बड़ी है जिससे पीड़ित व्यक्ति को बातचीत करने में, पढ़ने-लिखने में और समाज में मेलजोल बनाने में परेशानियां आती हैं। ऑटिज़म का निदान 18 महीने की उम्र में ही किया जा सकता है। जल्दी निदान से सही उपचार और समर्थन से बच्चों को बेहतर भविष्य मिल सकता है। अगर आपके बच्चे में निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें, तो समय रहते डॉक्टर से सलाह लें: * एक ही शब्द बार-बार बोलना या बड़बड़ाना * आंखों में आंखें मिलाकर ना देखना या आई-कॉन्टैक्ट ना बनाना * दूसरे बच्चों से घुलने-मिलने से बचना * खेल-कूद में हिस्सा न लेना या रुचि न दिखाना * दूसरे व्यक्तियों की भावनाओं को ना समझ पाना समय रहते निदान से सुधार संभव है। #EarlyDiagnosis #AutismAwareness #Neurodiversity #SupportAndCare